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Apne Apne Agyey (2 Vol. Set) / अपने अपने अज्ञेय (दो खण्ड)

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Book - Apne Apne Agyey (2 Vol. Set) 

 Editor - Om Thanvi

 Publisher - Vani Prakashan 


Total Pages : 1054 (2 Vol. set)
ISBN : 978-93-5000-916-1 (Vol.-1) (HB)
ISBN : 978-93-5000-917-8 (Vol.-2) (HB)
Price :  Rs.1500/- (2 Vol. set)
Size (Inches) : 9.50"X6.50"
First Edition : 2011
Category  : Memoirs

पुस्तक के संदर्भ में -

अज्ञेय ने लिखा है समय कहीं ठहरता है तो स्मृति में ठहरता है। स्मृति के झरोखे में काफी कुछ छन जाता है। लेकिन इसी स्मृति को फिर से रचने की संभावनायें खड़ी होती हैं। झरोखों से छनती धूप की तरह वह स्मृति हमें गुनगुना ताप और उजास देती है। ऐसा लगता है मानो हम उस दौर से गुज़र रहे हों। पुस्तक के माध्यम से अपने-अपने अज्ञेय ऐसे ही संस्मरणों का संकलन है । व्यक्तिपरक संस्मरणों में जितना वह व्यक्ति मौजूद रहता है जिसके बारे में संस्मरण है, उतना ही संस्मरण का लेखक भी । यों तो कोई वर्णन या विवेचन शायद पूर्णतः निष्पक्ष नहीं होत, पर ऐसे संस्मरण तो हर हाल में व्यक्तित्व और उसके कृतित्व का विशिष्ट निरूपण ही करते हैं। संस्मरण समय की मुट्ठी खोल जरूर देते हैं, लेकिन कौन जनता है किसने समय को किस नजर से देखा और कहाँ, कैसे पकड़ा ! जैसी हथेली, वैसी पकड़ । लेकिन सौ लेखकों के संस्मरण एक जगह जमा हों तो ? क्या वे एक लेखक के व्यक्तित्व  और उसके रचनाकर्म की संश्लिष्टता को समझने में मददगार होंगे ? इस सवाल के सकारात्मक जवाब की सम्भावना में प्रस्तुत उद्यम किया गया है। इस संकलन में ‘हिन्दी साहित्य की सबसे पेचीदा शख्सियत’ करार दिए गये सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की जन्मशती के मौके पर सौ लेखकों के संस्मरण शामिल हैं। हर लेखक ने अज्ञेय को अपने रंग में देखा है। विविध रंगों से गुजरने के बाद, पूरी उम्मीद है, पाठक खुद अज्ञेय की स्वतन्त्र छवि बनाने – या बनी छवि को जाँच सकने – में सक्षम होंगे। इन संस्मरणों में अज्ञेय की ज्यादातर वृत्तियों की छाया आपको मिलेगी ।  अलग-अलग कोण से।  अनेक संस्मरणों में ऐसी जानकारियाँ और अनुभव हैं, जो शायद पहले कभी सामने नहीं आये। हर लेखक हमारे सामने अपने देखे अज्ञेय को प्रस्तुत करता है और ये अपने अपने अज्ञेय  जोड़ में हमें ऐसे लेखक और उसके जीवन से रूबरू कराते हैं, जिसे प्रायः टुकड़ो में–  और कई बार गलत– समझ गया – भूमिका से 

सम्पादक के संदर्भ में -
ओम थानवी
ओम थानवी साहित्य, कला, सिनेमा, रंगमंच, पुरातत्त्व और पर्यावरण में गहरी रुचि रखते हैं। देश-विदेश में भ्रमण कर चुके हैं। बहुचर्चित यात्रा-वृत्तान्त मुअनजोडड़ो के लेखक हैं। अपने अपने अज्ञेय पुस्तक का मूलत: उद्देश्य सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'को श्रदांजलि अर्पित करना है। अज्ञेय के साथ ओम थानवी के पारिवारिक सम्बन्ध भी रहे हैं, थानवी जी अज्ञेय से मिलते रहते थे। एक लगाव से वह अज्ञेय को कितना समझ पाए और अज्ञेय के बारे में कितना संकलन कर पाए। इन्होंने इसका सही रूप 'अपने अपने अज्ञेय'पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत किया है।

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