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'सीमान्त कथा' (लेखिका - पद्मश्री उषाकिरण खान)

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कुछ ही दिनों में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा, पाठकों को सुलभ विश्व पुस्तक मेला-2020 नयी दिल्ली में शुरू होने जा रहा है वाणी प्रकाशन के ब्लॉग पर प्रस्तुत हैं कुछ ख़ास पुस्तकों के प्रीव्यू जो पुस्तक मेले में आप सभी के समक्ष होंगी।

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'सीमान्त कथा'उपन्यास के केन्द्र में हैं, सपनों से भरे दो तरुण-वाणीधर और विधुभाल। दो भिन्न माध्यमों से समाज में परिवर्तन के आकांक्षी किन्तु समकालीन राजनीति की जटिलताएँ, राजनीति का अपराधीकरण तथा अपराध की राजनीतिइन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते युवकों के जीवन का असमय तथा त्रासद अन्त होता है, जैसे भरी दोपहर में सूर्यास्त। विभिन्न जनान्दोलनों, जातीय संघर्षों तथा नरसंहारों की भूमि बिहार से उपजी यह कथा न केवल हमें उद्वेलित करती है बल्कि वामपन्थी राजनीति के खोखलेपन को भी उजागर करती है। 'सीमान्त कथा'केवल एक उपन्यास नहीं बल्कि 1974 के बिहार आन्दोलन के बाद के सबसे नाज़ुक दौर का जीवन्त दस्तावेज़ भी है। जातीय वैमनस्य की आग में धधकते इस प्रदेश में अमानवीय घृणा, क्रूर हिंसा तथा इन सबका पोषण करने वाली शासन व्यवस्था-इनके बीच दो युवकों की परिवर्तनकामी इच्छाएँ, उनका उत्कट प्रेम उपन्यास में अपने पूरे तीखेपन के साथ उभरकर आता है। उपन्यास की लेखिका उषाकिरण खान ने बड़ी शिद्दत से इन जटिलताओं को अपनी प्रभावपूर्ण कथा-शैली में बाँधा है।

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 गाँधी ही भविष्य की उम्मीद है 

हिंसा में आस्था रखने वाला नायक कहता है—क्रान्ति की कोई रिहर्सल नहीं होती क्योंकि उसका निर्माता : निर्देशक सभी कुछ इतिहास होता है और वह नितान्त क्रूर और निर्मम होता है जो कि ऐसे हालात निर्मित करता है कि हमें बिना किसी पूर्व रिहर्सल के सीधे मंच पर अपनी भूमिका अदा करनी होती है। इसमें गोली, बन्दूक़, तोप-गोला, घाव, ख़ून, लोगों की प्रताड़ना, जान-प्राण सभी असली होता है

नायक हिंसा की हिमायत करता था पर वह स्वयं हथियार की भेंट चढ़ गया। उसकी मौत पर राजनीतिक रोटियाँ सेंकने जत्थे बैठ गये चौराहे पर। भीड़ में से ही एक अदृश्य चेहरा उभरता है  जो कहता हैवाद ही भविष्य की उम्मीद है। शील, सत्य और त्याग को शक्ति और अज्ञान के ऊपर प्रतिष्ठित किया जाय। गाँधी इस जगत की पवित्रता, स्वप्न और आशा हैं तथा मनुष्य के सभ्य होने की निश्चित सम्भवना। गाँधी ने सभ्यता के भग्नावशेष से मनुष्यत्व का पुनराविष्कार किया। आने वाली प्रश्नांकित चेतना सदा गाँधी से पाथेय प्राप्त करेगी। 

(उपन्यास 'सीमान्त कथा'का अंश)


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